ये रात
और भी अँधेरी
लगती है मेरे जान..........
जब तु
बहुत दूर तक
नजर नहीं आता...........
कि साँसे
नहीं चलती
छोड़ने लगती है साथ......
ये होंठ
भूल जाते है
मुस्कुराने की कला.........
ये आँखे
देखती रहती है
बस तेरे आने की राह.......
गुमशुदा
सी रहती हुँ
मै तेरे ही खयाल में........
ये सच है
तु अगर नहीं है
तो मै, मै नही!! तो मै, कुछ भी नहीं!!
और भी अँधेरी
लगती है मेरे जान..........
जब तु
बहुत दूर तक
नजर नहीं आता...........
कि साँसे
नहीं चलती
छोड़ने लगती है साथ......
ये होंठ
भूल जाते है
मुस्कुराने की कला.........
ये आँखे
देखती रहती है
बस तेरे आने की राह.......
गुमशुदा
सी रहती हुँ
मै तेरे ही खयाल में........
ये सच है
तु अगर नहीं है
तो मै, मै नही!! तो मै, कुछ भी नहीं!!
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