Saturday 27 August 2016

ये रात
और भी अँधेरी
लगती है मेरे जान..........
जब तु
बहुत दूर तक
नजर नहीं आता...........
कि साँसे
नहीं चलती
छोड़ने लगती है साथ......
ये होंठ
भूल जाते है
मुस्कुराने की कला.........
ये आँखे
देखती रहती है
बस तेरे आने की राह.......
गुमशुदा
सी रहती हुँ
मै तेरे ही खयाल में........
ये सच है
तु अगर नहीं है
तो मै, मै नही!! तो मै, कुछ भी नहीं!!

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