Friday 23 December 2016

हर वो पल याद आते हैं मुझे

गुलाब सा खिल जाना !!!

सुबह-सुबह आँखों में नींद लिए

तुम्हारा बालकनी में निकल आना

दोनों हाथो से बालों को सुलझाना ।

सूरज की हलकी धूप पड़ते ही

तुम्हारे चेहरे का गुलाब सा खिल

जाना ।

हवाओ के ठन्डे झोकों से

तुम्हारे बदन का अचानक कांप जाना

मुझसे थोड़ी दूर बैठकर तुम्हारा मुझे देखना

फिर अचानक उठकर बेपरवाह चले जाना

दरवाजे पर पहुचते ही मुड़कर मुझे देख लेना

आँखों से न जाने क्या कहकर

आहिस्ते से तुम्हारा मुस्करा देना

तभी गर्दन के संग जुल्फों को झटक कर

बिना सोचे तुम्हारा यू गुजर जाना

कभी छोटी-छोटी बातो पर तुम्हारा गुस्साना

तुम्हारी गहरी आँखों का आंसुओ से भर जाना

नम आँखों को छुपाने की कोशिश में

मासूम से चेहरे को नन्ही हखेलियों से ढक लेना

थोड़ी देर बाद मेरे पास आना

मेरे कंधे पर सिर रखकर सो जाना

तो हर वो पल याद आते हैं मुझे

Miss u
♡=$=

मैं एक लड़की….अपनी ही बात कहती हूँ

घडी-घडी, हर पग-पग पर
अपने को हीन समझती हूँ ।
मैं एक लड़की…. अपनी ही बात कहती हूँ ।
है जिस दिन मैंने जनम लिया
न गीत बजी न शहनाई,
पर, नया संसार मिला
अपने और अनजानों की
खुशियां अपार मिली
फिर हंसती-खेलती हुई बड़ी
एक अल्हड़-उम्र के सीमा पर हुई खड़ी
माँ कहती -ज्यादा हंसों नहीं
पापा कहते – ज्यादा खेलो नहीं
दादी कहती – पढ़-लिखकर तुम कुछ नहीं कर सकते
कभी-कभी तो शिक्षक भी है लड़कों को बड़े समझते।
राहों पर निकलूं तो सबकी निगाहें घूरती ऐसे,
हमने कोई गुनाह किया हो जैसे।
पर गलती है क्या मेरी ?
मैं ये नहीं समझती हूँ।
मैं एक लड़की….
अपनी ही बात कहती हूँ
घडी-घडी, हर पग-पग पर
अपने को हीन समझती हूँ ।
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Thursday 1 December 2016

*सुंदरता हो न हो* ,
*सादगी होनी चाहिए* ,
 
*खुशबू हो न हो* ,
*महक होनी चाहिए* ,
       
*रिश्ता हो न हो* ,
*बंदगी होनी चाहिए* ,
        
*मुलाकात हो न हो* ,
*बात होनी चाहि ए*
      
*यूं तो उलझे है सभी अपनी उलझनों में*,
*पर सुलझाने की कोशिश हमेशा होनी चाहिए* ।।