Saturday 27 August 2016

मेहनत से उठा हूँ, मेहनत का दर्द जानता हूँ,
आसमाँ से ज्यादा जमीं की कद्र जानता हूँ।

लचीला पेड़ था जो झेल गया आँधिया,
मैं मगरूर दरख्तों का हश्र जानता हूँ।

छोटे से बडा बनना आसाँ नहीं होता,
जिन्दगी में कितना जरुरी है सब्र जानता हूँ।

मेहनत बढ़ी तो किस्मत भी बढ़ चली,
छालों में छिपी लकीरों का असर जानता हूँ।

कुछ पाया पर अपना कुछ नहीं माना,
क्योंकि आखिरी ठिकाना मेरा मिटटी का घर अपना जानता हूँ।

बेवक़्त, बेवजह, बेहिसाब मुस्कुरा देता हूँ,
आधे दुश्मनो को तो यूँ ही हरा देता हूँ!!
ये रात
और भी अँधेरी
लगती है मेरे जान..........
जब तु
बहुत दूर तक
नजर नहीं आता...........
कि साँसे
नहीं चलती
छोड़ने लगती है साथ......
ये होंठ
भूल जाते है
मुस्कुराने की कला.........
ये आँखे
देखती रहती है
बस तेरे आने की राह.......
गुमशुदा
सी रहती हुँ
मै तेरे ही खयाल में........
ये सच है
तु अगर नहीं है
तो मै, मै नही!! तो मै, कुछ भी नहीं!!

Friday 26 August 2016

मै लहरो को पकड़ता हूँ।
तो किनारा छुट जाता है।
जो किनारो पर ठहरता हूँ
तो दरिया रूठ जाता है
एक हसरतें है कि दम भरने नही देती,,
एक ज़रूरतें है जो ये दम निकलने नही देती !
"सारी उम्र गुज़री यूँ ही ,रिश्तों की तुरपाई में..।
मन के रिश्ते पक्के निकले, बाक़ी उधड़े कच्ची सिलाई में".l
मुस्कुराने के मकसद न ढूँढ,
वर्ना जिन्दगी यूँ ही कट जाएगी!
कभी वेवजह भी मुस्कुरा के देख
तेरे साथ साथ जिन्दगी भी**
मुस्कुरायेगी l

Monday 22 August 2016

नाम तो लिख दूँ उनका अपनी हर शायरी पर दोस्तों पर डरता हूँ,
मासूम सी है मेरी परी कहीं बदनाम ना हो जाए...