बहुत लोगों की नजरों में
मैं खलता रहता हूँ ....
फिर भी झुकता नहीं हूँ मैं
सदा चलता रहता हूँ ....
बुरा हो या अच्छा,
कुछ कहता नहींसब राम भरोसे है ....
उसकी बंदगी में
अपने नाम सा जलता रहता हूँ ....
भूखा रह लेता हूँ
पर बेईमानी नहीं करता ....
खुद्दारी पे कई दिन
तक पलता रहता हूँ ....
घाव हैं कुछ पुराने
जो कभी भरते ही नहीं है ....
उन जख्मो पर
अश्कों को मलता रहता हूँ ....
चाहे तोड़ दो डाली से
या खुशबू लूट लो मेरी ....
मेरी फितरत है फूल सी
मैं खुशमिजाज हूँ, मैं खिलता रहता हूँ॥
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