Tuesday 13 January 2015





चलो दुनिया को आपस मे बांट लेते है
सूरज तुम्हारा ,रोशनी हमारी ! आसमान
तुम्हारा,सितारे हमारे !
चांद तुम्हारा,चांदनी हमारी
अरे नही ? नही चलो कुछ इस तरह
करते है
सब कुछ तुम्हारा ओर तुम हमारे ओर सिर्फ हमारे बस हमारे,,,

Thursday 8 January 2015

तेरा हुआ ज़िक्र तो हम तेरे सजदे में झुक गये ,,अब
क्या फर्क पड़ता है मंदिर में झुक गये या मस्जिद में
झुक गये
सो जा ऐ दिल कि अब धुन्ध बहुत है तेरे शहर में,


अपने दिखते नहीं और जो दिखते है वो अपने नहीं...।
रिश्ते और पोधे एक से होते हे
लगा कर भूल जाओ
दोनों ही सुख जाते हे

दुनिया में रहने के लिए दो ही जगह अच्छी है , 
किसी के 'दिल' में या किसी की दुआ मे .
दिल तो हमारे नसीब नही,
बस दुआ मे याद रखना 
क्या तेरा क्या मेरा, क्या शिकवे


क्या ग़िले, जिंदगानी की मौजों पर अपनी रवानगी तो है,



कुछ इस तरह जो आज है उसे जी लें,


क्या पता के कल हों ना हों।

आज पगली बरसो बाद मिली तो गले लगकर खूब रोइ.....
जानते हो ये वही थी जिसने कहा था तेरे जैसे
हजारो मिलेंगे.
अक्सर वही लोग हम पर
अंगुलियाँ उठाते है.
जिनमें हमें छूने की ताकत
नहीं होती !!!!
कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अब
शायरी मेरी
.मतलब मुहब्बत सिर्फ मैंने
ही नहीं की।
इश्क करने से पहले पूछी नहीं जाती ज़ात महबूब की,
कुछ तो है दुनिया में जो आज तक मजहबी नही हुआ...
ये सोचकर गमो को दिल मे जगह दी है
के घर आए महमान को निकाला नही करते...!!!
औकात क्या है तेरी
__ऐ जिंदगी
चार दिन कि मोहब्बत
तुझे तबाह कर देती है।

Friday 2 January 2015


मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते..
मरुस्थल, पहाड चलने की चाह बढाते..
सच कहता हूं जब मुश्किलें ना होती हैं..
मेरे पग तब चलने मे भी शर्माते..
मेरे संग चलने लगें हवायें जिससे..
तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
अंगार अधर पे धर मैं मुस्काया हूं..
मैं मर्घट से ज़िन्दगी बुला के लाया हूं..
हूं आंख-मिचौनी खेल चला किस्मत से..
सौ बार म्रत्यु के गले चूम आया हूं..
है नहीं स्वीकार दया अपनी भी..
तुम मत मुझपर कोई एह्सान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
शर्म के जल से राह सदा सिंचती है..
गती की मशाल आंधी मैं ही हंसती है..
शोलो से ही श्रिंगार पथिक का होता है..
मंजिल की मांग लहू से ही सजती है..
पग में गती आती है, छाले छिलने से..
तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
फूलों से जग आसान नहीं होता है..
रुकने से पग गतीवान नहीं होता है..
अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगती भी..
है नाश जहां निर्मम वहीं होता है..
मैं बसा सुकून नव-स्वर्ग “धरा” पर जिससे..
तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
मैं पन्थी तूफ़ानों मे राह बनाता..
मेरा दुनिया से केवल इतना नाता..
वेह मुझे रोकती है अवरोध बिछाकर..
मैं ठोकर उसे लगाकर बढ्ता जाता..
मैं ठुकरा सकूं तुम्हें भी हंसकर जिससे..
तुम मेरा मन-मानस पाशाण करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
गुजर जायेगा ये दोर
भी ज़रा सा इतमिनान तो रख,

जब खुशिया ही नही ठहरी, तो गम
की क्या औकात...

मैं इस काबिल तो नही कि कोई
अपना समझे.... पर इतना यकीन है... कोई
अफसोस जरूर करेगा मुझे खो देने के बाद........... 

किसने कहा,

मेरे दिल मेँ मेहमान बन के

आया कर ऐ-दोस्त |

!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

ये तेरी सल्तनत है....

जब भी आए;

सुलतान बन के

आया कर....!!!

मंदिर के बाहर लिखा हुआ एक खुबसुरत सच......+

"अगर उपवास करके भगवान खुश होते,
.
तो इस दुनिया में बहुत दिनो तक खाली पेट

रहनेवाला भिखारी सबसे सुखी इन्सान होता....."
हज़ारो है..... मेरे अल्फ़ाज़ के दीवाने ,मेरी ख़ामोशी सुनने वाला भी तो कोई हो...!!

"सफ़र नया, हमसफ़र नया, नया है अब कारवां"सफ़र नया, हमसफ़र नया, नया है अब कारवां
शहर नया, रहगुज़र नया, नया है अब रास्ता
जाना कहाँ, किस ओर है, नही कोई भी खबर
मंज़र नया, मर्क़ज़ नया, नया है अब काफ़िला
इरादों की ज़मीं पर, ख़्वाबों की बगिया खिला
शज़र नया, गुलशन नया, नया है अब बागबां
एहसास की नदी में यूँ, बहता जा तू धीरे धीरे
शऊर नया, दस्तूर नया, नया है अब जायज़ा
ज़िन्दगी का फ़लसफा, रूहानियत में है छुपा
समर नया, सरवर नया, नया है अब पासबां
उङने को तू आज़ाद है, पंख अपने खोल ज़रा
हुनर नया, परवाज़ नया, नया है अब आसमां
मन की आँखों से कभी, देख तू खुद को यहाँ
असर नया, अंदाज़ नया, नया है अब आईना
राह पर अब अपनी, चल तू फिर से 'HD'
सफ़र नया, रहबर नया, नया है अब कारवां


आप कितने भी बड़े इंसान क्यों न बन जाए 
दौलत शौहरत भी खूब कमा ले ।।
मगर माँ के प्यार के आगे आप खुद को बच्चा ही समझेगे