मै लहरो को पकड़ता हूँ।
तो किनारा छुट जाता है।
जो किनारो पर ठहरता हूँ
तो दरिया रूठ जाता है
एक हसरतें है कि दम भरने नही देती,,
एक ज़रूरतें है जो ये दम निकलने नही देती !
"सारी उम्र गुज़री यूँ ही ,रिश्तों की तुरपाई में..।
मन के रिश्ते पक्के निकले, बाक़ी उधड़े कच्ची सिलाई में".l
मुस्कुराने के मकसद न ढूँढ,
वर्ना जिन्दगी यूँ ही कट जाएगी!
कभी वेवजह भी मुस्कुरा के देख
तेरे साथ साथ जिन्दगी भी**
मुस्कुरायेगी l
तो किनारा छुट जाता है।
जो किनारो पर ठहरता हूँ
तो दरिया रूठ जाता है
एक हसरतें है कि दम भरने नही देती,,
एक ज़रूरतें है जो ये दम निकलने नही देती !
"सारी उम्र गुज़री यूँ ही ,रिश्तों की तुरपाई में..।
मन के रिश्ते पक्के निकले, बाक़ी उधड़े कच्ची सिलाई में".l
मुस्कुराने के मकसद न ढूँढ,
वर्ना जिन्दगी यूँ ही कट जाएगी!
कभी वेवजह भी मुस्कुरा के देख
तेरे साथ साथ जिन्दगी भी**
मुस्कुरायेगी l
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