शायरी

औकात क्या है तेरी
__ऐ जिंदगी
चार दिन कि मोहब्बत
तुझे तबाह कर देती है।
___________________________________
बडी अजीब सी है ..शहर की रोशनी
उजालो के बावजूद चेहेरे पहचानना मुश्किल है
____________________________________

No comments: