Wednesday 27 May 2015

आओ चलें.....




आओ चलें.....

आओ चलें...
क्षितिज के उस पार..
जहाँ है तुम्हारी आकंशाओ का संसार...
आओ चलें...

रास्ता है कठिन...और लम्बा बहुत है...
पर अगर दिशा है पता..की जाना किधर है...
तो मुश्किल ज़रूर है....पर नामुनकिन नहीं...
आओ चलें...
क्षितिज के उस पार..

खुद को जानो...पहचानो खुद को...
जाना तुम्हे अकेले है...क्योकि सपने तुम्हारे हैं...
जिन्हें सच करके...जीना तुम्हे हैं...
आओ चलें...
क्षितिज के उस पार..

दिल में डर क्यों है...
उस पर...जिसे तुमने चुना है...
रखो खुद पे विशवास...और...
सुनो...अपने दिल की आवाज़...
आओ चलें...
क्षितिज के उस पार..

फैला..दो अपनी..बाहें...सारा जहाँ...तुम्हारा है...
ज़मीन तुम्हारी है...आसमान तुम्हारा है...
कल्पनाओ के बंधे...पर खोल दो...
और उड़ जाओ...
पार कर लो...इस क्षितिज को...
जी लो...अपने हर सपने को....
तुम अकेले नहीं...साथ हमारा है...
आओ चलें...
क्षितिज के उस पार..
जहाँ है तुम्हारी आकंशाओ का संसार...
आओ चलें...


HD

तुम से मिल कर .....


एक ताज़गी मिली, तुम से मिल कर.....

ज़िन्दगी जो बेपरवाह... कट रही थी,


एक ख़वाहिश मिली, तुम से मिल कर.....

एक बेबसी...बेकरारी...जो ज़हन में बस गई थी,


उस से निज़ात मिली, तुम से मिल कर..... 

रातो की बेकली,जो रूह को परेशां करती थी,


रूह को सुकून की सौगात मिली, तुमसे मिल कर....

इन बेचैनियों की इन्तहा ये थी, की जीना था मुश्किल, मौत थी आसान,


ज़ीस्त को बचाया...इस दोज़ख से, तुम से मिल कर....

और ...क्या कहू....इस से ज्यादा............


मैंने ख़ुद को पाया है....तुम से मिल कर .....!!!!!!!!!!




Hanuman Dukiya-HD

Friday 22 May 2015

आज फिर कुछ लिखने का मन है....





















आज फिर कुछ लिखने का मन है....

तुम ही...देखो ना....कैसी उलझन है....
मेरे शब्द...मुझ से रूठे हैं...ऐसा लगता है
या...खेल रहे हैं आँख-मिचौली मुझ से
पता नही....
आज फिर कुछ कहने का मन है....
तुम ही...देखो ना....कैसी उलझन है.... 
कई बार यूँ...लगता है
मेरे शब्द...तुम्हारे पास सम्भले रखें हैं...
या...तुमने ही कही छुपा रखें हैं
पता नहीं....
आज फिर तुम्हारे साथ चलने का मन है...
तुम ही...देखो ना....कैसी उलझन है.... 
चलो...क्यूँ ना मिल कर...इन शब्दों को मनाये
या...दोनों मिल के उन्हें ढूँढ लाये
पता नहीं....
देखो ना...कितनी उलझन है....?
उलझा हूँ....मैं
और कहीं ना कहीं....मुझमें उलझे हैं...मेरे शब्द
तुम...इस उलझन को सुलझा क्यूँ नही देते...??
मेरे शब्द...मुझे लौटा क्यूँ नहीं देते....???
उन्हें वापस....भेज दो ना....???
फिर एक बार....मेरे दिल का पता दे कर....
इस बार....संभाल के रखूँगा ....मना के 
रखूँगा ....दिल से लगा के रखूँगा ...
उफ्फ्फ....
देखो ना...फिर....उलझ गया ...मैं
क्या करूँ...
आज फिर कुछ लिखने का मन है....
तुम ही...देखो ना....कैसी उलझन है....!!!!!

Monday 18 May 2015

कभी तो तुमने सोचा होगा ...

कभी तो तुमने सोचा होगा ...

कभी तो तुमने सोचा होगा ....
कि कोई दोस्त ऐसा हो जो सिर्फ़ तुम्हारा हो...


कभी तो तुमने सोचा होगा ....
कोई अहसास हो जो सबसे ख़ास हो......


कभी तो तुमने सोचा होगा ....
कोई चाहे तुम्हे भी बिना किसी गरज के ....


कभी तो तुमने सोचा होगा ....
कोई मुस्कान जो सिर्फ़ तुम्हारी हो.....


कभी तो तुमने सोचा होगा ....
एक हाथ, जो थाम ले हर मुश्किल मैं ....


कभी तो तुमने सोचा होगा ....
किसी का साथ, जो तुमने हमेशा चाहा.....


अगर तुम ये सब न सोचा करते......
तो हम यहाँ क्यों जिया करते..........!!!

हर पल.....

HD
हर पल.....

क्या हकीक़त है....
और...क्या कहानी है....
तेरे तस्सुव्वुर में खोया हूँ....हर पल...

आती सांस में याद है....जाती में जुदाई....
यादों में जीता हूँ....जुदाई में मरता हूँ......
हर सांस में....जीता-मरता हूँ.... हर पल... 

ना तुझे कभी देखा है.... और ना ही सुना है....
पर तुझे....महसूस करता हूँ....हर पल... 

कभी तू मेरे....इतने करीब होती है की....
तू मुझे बाहों में भर लेगी...ऐसा लगता है... हर पल... 

क्या लड़कपन है....क्या जवानी है....
बस तू ही मेरे सपनो की रानी है... 
मेरे दिल में तू धड़कती है....हर पल.....

तू कैसी होगी....कैसी लगती होगी...
कैसे हंसती होगी....कैसे बोलती होगी...
बस....ये ही सोचता रहता हूँ.... हर पल.....

खिचता हूँ....मुड़ता हूँ....झुकता हूँ...
तेरी ओर....हर पल.....!!!!!!!



*~*Hanuman Dukiya-HD*~*
हाल तो पुंछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी..
ज़ब ज़ब सुनी हें कमबख्त मोहब्बत ही हुई है ..
ख्यालों मे भटक जाना, तेरी यादों में खो जाना..

बहुत महंगा पड़ा है मुझको सिर्फ तेरा हो जाना..
मुहब्बत शोर है, तो, शोर मत कर
इबादत है अगर, कुछ, और मत कर….

नज़ाकत से, नफ़ासत से, निभाना
ये कच्ची डोर है, तू जोर मत कर .....
जालिमों में शामिल तेरा नाम कर दूं
जी तो करता है कि अब ये काम कर दूं..

मौत के वक्त तुझे चूमने की ख्वाहिश है
इस वसीयत से तुझे बदनाम कर दूं..

अबके आओगे जो तुम हमसे मिलने
सोचती हूं कि बस दूर से सलाम कर दूं..

जान की बाजी लगाई है इश्क में हमने
तेरे कदमों में इस बाजी का अंजाम कर दूं..
मेरी जिन्दगी के राज़ में एक राज़  तुम भी हो..

मेरी बन्दगी की आस में एक आस तुम भी हो..

तुम क्या हो मेरे? कुछ हो? या कुछ भी नही मगर,

मेरी जिन्दगी के काश में एक काश तुम भी हो..
क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है
हँसती खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है..

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे 
आज बिना मुस्कुराये ही रात हो जाती है...

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एक दिन की बात है , लड़की की माँ खूब
परेशान होकर अपने पति को बोली की एक
तो हमारा एक समय
का खाना पूरा नहीं होता और बेटी साँप
की तरह बड़ी होती जा रही है .
गरीबी की हालत में इसकी शादी केसे
करेंगे ?
बाप भी विचार में पड़ गया . दोनों ने दिल
पर पत्थर रख कर एक फेसला किया की कल
बेटी को मार कर गाड़ देंगे .
दुसरे दिन का सूरज निकला , माँ ने
लड़की को खूब लाड प्यार किया , अच्छे से
नहलाया , बार - बार उसका सर चूमने लगी .
यह सब देख कर लड़की बोली : माँ मुझे
कही दूर भेज रहे हो क्या ?
वर्ना आज तक आपने
मुझे ऐसे कभी प्यार नहीं किया ,
माँ केवल चुप रही और रोने लगी ,
तभी उसका बाप हाथ में फावड़ा और चाकू
लेकर
आया , माँ ने लड़की को सीने से लगाकर
बाप के साथ रवाना कर दिया .
रस्ते में चलते - चलते बाप के पैर में कांटा चुभ
गया , बाप एक दम से निचे बेथ गया ,
बेटी से
देखा नहीं गया उसने तुरंत कांटा निकालकर
फटी चुनरी का एक हिस्सा पैर पर बांध
दिया .
बाप बेटी दोनों एक जंगल में पहुचे बाप ने
फावड़ा लेकर एक गढ़ा खोदने
लगा बेटी सामने बेठे - बेठे देख रही थी ,
थोड़ी देर बाद गर्मी के कारण बाप
को पसीना आने
लगा .
बेटी बाप के पास गयी और
पसीना पोछने के लिए अपनी चुनरी दी .
बाप ने धक्का देकर बोला तू दूर जाकर बेठ।
थोड़ी देर बाद जब बाप गडा खोदते - खोदते
थक गया ,
बेटी दूर से बैठे -बैठे देख रही थी, जब
उसको लगा की पिताजी शायद थक गये
तो पास आकर बोली पिताजी आप थक गये
है .
लाओ फावड़ा में खोद देती हु आप
थोडा आराम कर लो . मुझसे आप
की तकलीफ नहीं देखि जाती .
यह सुनकर बाप ने अपनी बेटी को गले
लगा लिया, उसकी आँखों में आंसू
की नदिया बहने लगी , उसका दिल पसीज
गया ,
बाप बोला : बेटा मुझे माफ़ कर दे , यह
गढ़ा में तेरे लिए ही खोद रहा था . और तू
मेरी चिंता करती है , अब
जो होगा सो होगा तू हमेशा मेरे
कलेजा का टुकड़ा बन कर रहेगी में खूब मेहनत
करूँगा 
दिल तो तब खुश हुआ मेरा जब उसने कहा..तुम्हे छोड़ सकती हूँ माँ-बाप को नही.
मेरे इश्क में दर्द नहीं था पर दिल मेरा बे दर्द नहीं था, होती थी मेरी आँखों से नीर की बरसात, पर उनके लिए आंसू और पानी में फर्क नहीं था "
दिल की सुनी, दिल की करी,
फिर भी इस दिल को, हमसे शिकायतें हैं बड़ी !
मंजिले कितनी भी ऊँची हो, रास्ते हमेशा पैरो के निचे
होते है..!!
अजीब अदा है ए यार तेरे दिल की..♡
नजरें भी मुझ पर हैं..♡
नाराजगी भी मुजसे है..♡♡♡
जो प्यार करते हैं वो यार की रूस्वाई नहीं करते ,
चुपचाप गम सह लेते हैं जिक्र-ए-जुदाई नहीं करते !!
जज़्बातों में छिपा दर्द बहुत गहरा है
अफ़सोस उन्हें 
सही शब्दों का 
सहारा नहीं मिला
नहीं तो हम आज 
तक इंतिजार करते
न रह जाते ‪#‎इंतिजार‬

।। मैं खुश हूं ।।

।। मैं खुश हूं ।।
💚💚
😊"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं
"काम में खुश हूं," आराम में खुश हू
😊"आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश हूं
"आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं
😊"दोस्तों का साथ नहीं," अकेला ही खुश हूं
"आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं
😊"जिस को देख नहीं सकता," उसकी आवाज से ही खुश हूं
"जिसको पा नहीं सकता," उसको सोच कर ही खुश हूं
😊"बीता हुआ कल जा चुका है," उसकी मीठी याद में ही खुश हूं
"आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूं
😊"हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज में ही खुश हूं
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं
😊"अगर दिल को छुआ, तो जवाब देना"
"वरना बिना जवाब के भी खुश हूं।"
आप भी खुश रहें और खुशियाँ बांटें .
मेरे शब्द
तेरे लिए
बस
तेरे लिए..
जिनमे हैं
कुछ जज्बात
कुछ गम लिए
कुछ ख़ुशी लिए..
‪#‎HD
मुझे जिंदगी की सच्चाई तब पता चली,
जब रास्ते में पड़े फूलों ने मुझसे कहा,
.
दूसरों को खुशबू देने वाले अक्सर यूं
ही कुचले जाते हैं..
साथ लम्हों का ...... याद उम्र भर की .
बस अच्छे लोगों की यही बात बुरी लगती
है...
टूटे हुए प्याले में जाम नहीं आता
इश्क़ में मरीज को आराम नहीं
आता...
एक कहानी यह भी........
पति के घर में प्रवेश करते ही
पत्नी का गुस्सा फूट पड़ा :
"पूरे दिन कहाँ रहे? आफिस में पता किया, वहाँ भी नहीं पहुँचे! मामला क्या है?"
"वो-वो... मैं..."
पति की हकलाहट पर झल्लाते हुए पत्नी फिर बरसी, "बोलते नही? कहां चले गये थे। ये गंन्दा बक्सा और कपड़ों की पोटली किसकी उठा लाये?"
"वो मैं माँ को लाने गाँव चला गया था।"
पति थोड़ी हिम्मत करके बोला।
"क्या कहा? तुम्हारी मां को यहां ले आये? शर्म नहीं आई तुम्हें? तुम्हारे भाईयों के पास इन्हे क्या तकलीफ है?"
आग बबूला थी पत्नी!
उसने पास खड़ी फटी सफेद साड़ी से आँखें पोंछती बीमार वृद्धा की तरफ देखा तक नहीं।
"इन्हें मेरे भाईयों के पास नहीं छोड़ा जा सकता। तुम समझ क्यों नहीं रहीं।"
पति ने दबीजुबान से कहा।
"क्यों, यहाँ कोई कुबेर का खजाना रखा है? तुम्हारी सात हजार रूपल्ली की पगार में बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च कैसे चला रही हूँ, मैं ही जानती हूँ!"
पत्नी का स्वर उतना ही तीव्र था।
"अब ये हमारे पास ही रहेगी।"
पति ने कठोरता अपनाई।
"मैं कहती हूँ, इन्हें इसी वक्त वापिस छोड़ कर आओ। वरना मैं इस घर में एक पल भी नहीं रहूंगी और इन महारानीजी को भी यहाँ आते जरा भी लाज नहीं आई?"
कह कर पत्नी ने बूढी औरत की तरफ देखा, तो पाँव तले से जमीन ही सरक गयी!
झेंपते हुए पत्नी बोली:
"मां, तुम?"
"हाँ बेटा! तुम्हारे भाई और भाभी ने मुझे घर से निकाल दिया। दामाद जी को फोन किया, तो ये मुझे यहां ले आये।"
बुढ़िया ने कहा, तो पत्नी ने गद्गद् नजरों से पति की तरफ देखा और मुस्कराते हुए बोली।
"आप भी बड़े वो हो, डार्लिंग! पहले क्यों नहीं बताया कि मेरी मां को लाने गये थे?"
इतना शेयर करो, कि हर औरत तक पहुंच जाये! मुझे आपके संस्कारों के बारे में पता है, पर ये आप उन तक जरूर पहूँचा सकते हैं, जिनको इस मानसिकता से उबरने की जरूरत है कि माँ तो माँ होती है! क्या मेरी, क्या तेरी?
ताश के पत्तों से बने हुए है रिश्ते यहाँ…
बिखरने के है सौ बहाने, संभालने को कोई है नहीं.
इतने बुरे ना थे हम जो ठुकरा दिया तुमने हमेँ....
अपने फैसले पर एक दिन अफसोस तुम्हेँ भी होगा..
अज़ीब कश्मकश हैं..
अंदर सोने जाओ तो भूकंप का डर,
बाहर सोने जाओ तो सलमान का डर..
सोये तो सोये कहाँ !!!
हर किसी को मैं खुश रख सकूँ
वो सलीका मुझे 
नहीं आता
जो मैं नहीं हूँ
वो दिखने का तरीका 
मुझे नहीं आता...
मिलते।है सभी कही ना ना कही।।
पहचानने वाले होने चाहिए ।।।
ज़िन्दगी की हर सुबह शर्ते लेकर आती है,
और हर ढलती शाम तज़ुर्बे देकर जाती है..!!!!