Saturday 26 December 2015

***आशा***


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ज़िन्दगी में नैराश्य भाव छा जाने पर भी रहती है थोड़ी सी आशा,
बहुत असफलताओं के बाद भी रहती है एक सफलता की आशा।
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जीवन गति पाता रहता है किसी न किसी सहारे के बल पर,
निराशा में भी जीवन की गति को प्रेरित करती है एक आशा।
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आशा निराशा के बीच ज़िन्दगी झूलती रहती है बनकर एक झूला,
निराशा से ज़िन्दगी रुक जाती है,ज़िन्दगी को चलाती है एक आशा।
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शाम ढल जाती,रजनी अपनी ज़ुल्फ़ों को फैलाकर कर देती है अँधेरा,
तब भी सबको रहती है अँधेरे को चीरकर सूरज निकलने की आशा।
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जब असाध्य बीमारियों से ग्रस्त होकर शरीर तोड़ने लगता है दम,
हकीमों के बल पर तब भी रहती है आरोग्य होने की थोड़ी सी आशा।
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गरजता समन्दर बहुतों को समेट लेता है अपने आगोश के अंदर,
समंदर की लहरों के बीच मछुआरे जाते हैं लेकर लौटने की आशा।
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विधि के विधान व होने वाली दुर्घटनाओं को जानता है कौन,
आदमी घर से निकलता है लौटने की लेकर एक बड़ी आशा।
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जीत की उम्मीदों से ही लड़े जाते हैं राजनीति के चुनाव,
अधिकतर को चुनाव में जींतने की रहती है पूर्ण आशा।
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रेगिस्तान में चलने वाले किसी छाये की उम्मीद नहीं करते,
पर कारवाँ के गन्तव्य स्थल तक पहुँचने की रहती है आशा।
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अपराधियों को दण्ड दिया जाता है छोटे-बड़े अपराध के अनुसार,
न्यायालय को भी रहता है बाल अपराधियों के सुधरने की आशा।
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एक आशा के बल पर तुम भी अपनी ज़िन्दगी गुजार दो 'प्रकाश',
न जाने आशा फलीभूत होगी या आशा रह जाएगी सिर्फ आशा।

Royal StaR HD

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