Saturday 26 December 2015

मदहोश शाम


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मन में हलचल
तन में थिरकन
हो रही मजबूत गिरफ्त
तेरी बाँहों की
महक रही साँसें
गुलाबी होने लगी
कोर मेरे कानों की
रेशमी एहसास
तेरा रह-रह
मुझे सता रहा
खुद पर संतुलन रखूँ कैसे
होशो हवाश पर तू
बेसबब छा रहा
झंकृत हो उठे
पायलिया के स्वर
मधुर गीत तू रह रह
जो गुनगुना रहा

Royal Star HD

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