Tuesday 10 March 2015

सफर है ज़िँदगी का, ............यादें कुछ पलोँ की। सुकून मेरे दिल का, .........हँसी उनके लबोँ की। ग़म उनको खोने का, ......चाहत उनको पाने की। इरादा उनके साथ का, ......नज़र लगी जमाने की। सब्र मेरी आशिकी का, ........वफा उनके वादोँ की। दर्द दूर होने का, ..........ख़ता थी इरादों की। प्यार समझा खेल उनका, ......भूल मेरे अफ़साने की। खुशी ही तो माँगी थी, ......उनसे दिल लगाने की। सज़ा मुझको खूब मिली, ...पत्थर से दिल लगाने की। कहाँ हैसियत थी 'सागर', .....उनकी प्यास बुझाने की।

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