Thursday, 25 December 2014


वो सागर नही था आँसू थे मेरे, जिन पे वो कश्ती चलते रहे, मंज़िल मिले उनको ये हसरत थी हमारी, इसलिए हम बिना रुके आंसु बहाते रहे.

No comments: