Saturday 6 February 2016

प्यार की दास्तान..

प्यार की दास्तान..
बचपन था.. थे अजनबी.. मिले एक दूसरे से अनजाने में.. समय यूँ ही गुजरा और बिछडे.. सालों बाद फिर आप दिखे.. एक पल को लगा क्या ये वही है.. दोस्त बने.. हुई गहरी दोस्ती और हुआ प्यार.. कब, कैसे.. हम वाकिफ नहीं इससे.. करते बातें खुब पर ना कह पाते मौहब्बत है आपसे..फिर एक दिन आया.. आपने कहा मौहब्बत है तुमसे.. मैं कुछ कह नहीं पायी .. चल दी मुंह फेर कर.. उस रोज़ सोचती रही ये क्या किया मैंने.. कुछ दिनों बाद आपने उदास हो कर कहा क्या कमी है मुझमें, बेइंतहा प्यार करते हैं तुमसे, कुछ तो कहो, चुप क्यों हो.. मैं मुसकुरा कर, शरमा कर बोली मंजूर है ये इश्क..अब जब भी दस्तक दी आपने.. हमारा दिल धड़कने लगा जोर से.. निगाहें पडी आप पर.. हम निहारते रह गए.. सात साल बित गये और हम बार बार इक दूजे के प्यार में पडे.. अब यूँ ही इश्क में डुबे रहने को जी चाहता है.. यूँ ही आपसे लिपटे रहने को जी चाहता है

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