होगे खफा.. जब कभी भी
वादा है.. मना लेंगे तुझे
बेपरवाही
इक पल की भी
मंजूर नहीं
इस दिल को तेरी
Priti Poddar
Saturday, 26 September 2015
पीड़ा
पीड़ा
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रह-रहकर बिखरने की आदत हो गई
अब मुझको
तूफां के थपेड़ों का
डर कैसा
या फिर
बगावत कैसी
सुकूं चाहा
जब कभी भी
दो पल का
गली के मुहाने
झोपड़ी मेरी
पीड़ को मिल ही गई
By Priti Poddar
Saturday, 19 September 2015
पाकीजा लम्हें
पाकीजा लम्हेंWritten By :- प्रीति पोद्दार
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फिर ना देना कभी
तेरी
साँसों का तोहफा
दिल बेकल हो
बिलखता मेरा
खोखले
आवरण अंदर
अंगारा कोई
दहकता
बिलखता मेरा
खोखले
आवरण अंदर
अंगारा कोई
दहकता
आँच में जिसके
तन-मन मेरा
सुलगता
गमजदा हो क्यूँ
इस कदर तू
तङपता
तन-मन मेरा
सुलगता
गमजदा हो क्यूँ
इस कदर तू
तङपता
रूह नहीं वफा चाहिए
सजदा करूँ
नाज कर सकूँ
ऐसा पाकीजा साथ
ताउम्र चाहिए
सजदा करूँ
नाज कर सकूँ
ऐसा पाकीजा साथ
ताउम्र चाहिए
बिंदास तेरी हँसी का
दिल मुरीद
विश्वास कर लें
मैं खुशनसीब मानूँ
खुद को...
हो शायद
तुझे भी
ये यकीं
दिल मुरीद
विश्वास कर लें
मैं खुशनसीब मानूँ
खुद को...
हो शायद
तुझे भी
ये यकीं
चीत्कारती खामोशी
समंदर के शोर सी
सुनना है गर तो
लहरों से
उसकी सुनो
समंदर के शोर सी
सुनना है गर तो
लहरों से
उसकी सुनो
समेटे जिसने अनगिनत
वे नाम और किस्से
तट पर जो उसके
मन की थरथराती
स्याही से लिप्त
दिल पे उरेके गए
वे नाम और किस्से
तट पर जो उसके
मन की थरथराती
स्याही से लिप्त
दिल पे उरेके गए
यकीनन चाहिए
बस यही
गहनता सरलता
और
हमेशा एक रंग
यही उम्मीद जताई
मैंने भी
तेरे संग
बस यही
गहनता सरलता
और
हमेशा एक रंग
यही उम्मीद जताई
मैंने भी
तेरे संग
Written By :-
प्रीति पोद्दार
Wednesday, 16 September 2015
Saturday, 5 September 2015
Thursday, 3 September 2015
Wednesday, 2 September 2015
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