Thursday 28 August 2014

आहिस्ता चल ज़िन्दगी, अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है,


आहिस्ता चल ज़िन्दगी, अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है,
कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है;

रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए, कुछ छुट गए ;
रूठों को मनाना बाकी है, रोतो को हसाना बाकी है ;

कुछ हसरतें अभी अधूरी है, कुछ काम भी और ज़रूरी है ;
ख्वाइशें जो घुट गयी इस दिल में, उनको दफनाना अभी बाकी है ;

कुछ रिश्ते बनके टूट गए, कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए;
                          उन टूटे-छूटे रिश्तों के ज़ख्मों को मिटाना बाकी है ;

                               तू आगे चल में आता हु, क्या छोड़ तुजे जी पाऊंगा ?
                              इन साँसों पर हक है जिनका , उनको समझाना बाकी है ;

                               आहिस्ता चल जिंदगी , अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है।
 Hanuman Dukiya-HD_